इस पोस्ट में हम eye floaters ayurvedic medicine के बारे में विस्तार से जानेंगे
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Eye Floaters क्या हैं?
आँखों में फ्लोटर्स (Eye Floaters) वे छोटे धब्बे, धागे, लकीरें या कण होते हैं जो आपकी दृष्टि में तैरते दिखाई देते हैं। ये धब्बे या लकीरें विशेष रूप से तब दिखाई देती हैं जब आप किसी साफ या उजली सतह की ओर देखते हैं, जैसे नीला आसमान, सफेद दीवार, या कागज।
फ्लोटर्स वास्तव में आपकी आँख के अंदर की जेली जैसे पदार्थ (विट्रियस) में छोटे कण होते हैं। ये कण आपकी दृष्टि में छाया बनाते हैं, जिससे आपको ये तैरते हुए दिखाई देते हैं।
फ्लोटर्स कैसे बनते हैं?
आँख का विट्रियस ह्यूमर (Vitreous Humor) एक जैली जैसा पदार्थ है जो आँख के अंदरूनी हिस्से को भरता है। समय के साथ, यह जैली जैसा पदार्थ थोड़ा पतला हो सकता है और इसके अंदर के फाइबर्स क्लम्प हो सकते हैं, जिससे फ्लोटर्स बनते हैं। ये क्लम्प या कण आपकी दृष्टि में छाया डालते हैं, जिससे आपको धब्बे या लकीरें दिखाई देती हैं।
Eye Floaters के लक्षण:
धब्बे या लकीरें: छोटे काले या ग्रे रंग के धब्बे, धागे, लकीरें, या जाले जैसे आकार दृष्टि में तैरते दिखाई देते हैं।
हल्की चमक: कभी-कभी फ्लोटर्स के साथ हल्की चमक भी दिखाई दे सकती है, विशेष रूप से अंधेरे में।
आवाजाही: ये फ्लोटर्स आपकी आँखों की मूवमेंट के साथ हिलते-डुलते हैं और फिर धीरे-धीरे तैरते हुए सेटल हो जाते हैं।
दृष्टि में स्पष्टता की कमी: कभी-कभी ये फ्लोटर्स आपकी दृष्टि को धुंधला कर सकते हैं।
Eye Floaters क्यों होते है?
उम्र: उम्र बढ़ने के साथ, आँख की जेली जैसे पदार्थ में बदलाव आते हैं, जिससे फ्लोटर्स बनते हैं। यह स्थिति सामान्यतः 50 वर्ष की आयु के बाद अधिक आम होती है।
रेटिनल टियर: रेटिना में छोटे-छोटे आँसू या घाव फ्लोटर्स का कारण बन सकते हैं। यह स्थिति गंभीर हो सकती है और इसके लिए चिकित्सीय ध्यान की आवश्यकता हो सकती है।
आई सर्जरी: आँखों की सर्जरी या लेंस प्रत्यारोपण (Cataract Surgery) के बाद फ्लोटर्स अधिक आम हो सकते हैं।
आई इंफेक्शन या सूजन: आँखों में किसी प्रकार की सूजन या संक्रमण भी फ्लोटर्स का कारण बन सकते हैं।
डायबिटिक रेटिनोपैथी: मधुमेह के रोगियों में रेटिना की समस्याएँ फ्लोटर्स का कारण बन सकती हैं।
पोस्टरियर विट्रियस डिटैचमेंट (PVD): यह स्थिति तब होती है जब विट्रियस ह्यूमर रेटिना से अलग हो जाता है, जिससे फ्लोटर्स बन सकते हैं।
Ayurvedic उपचार: Eye Floaters Ayurvedic Medicine
आयुर्वेद में, आँखों की देखभाल और दृष्टि समस्याओं के लिए विभिन्न हर्बल और प्राकृतिक उपचार बताए गए हैं। यहाँ कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक उपचार दिए जा रहे हैं:
त्रिफला: त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक हर्बल फॉर्मूला है जो तीन फलों (आंवला, हरड़ और बहेड़ा) से मिलकर बना होता है। यह आँखों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। त्रिफला चूर्ण को पानी में भिगोकर रात भर रखें और सुबह उसे छानकर आँखों को धोएं। इससे आँखों की सफाई होती है और दृष्टि बेहतर होती है।
आंवला: आंवला का सेवन करने से आँखों की रोशनी बढ़ती है और फ्लोटर्स कम हो सकते हैं। आप आंवला के रस का सेवन कर सकते हैं या आंवला का मुरब्बा खा सकते हैं।
गुलाब जल: गुलाब जल आँखों को ठंडक और ताजगी देने का काम करता है। आप रोज़ाना गुलाब जल की कुछ बूँदें आँखों में डाल सकते हैं। इससे आँखों की थकान कम होती है और दृष्टि में सुधार होता है।
त्रिफला घृत: यह एक प्रकार का औषधीय घी है जिसमें त्रिफला और अन्य हर्ब्स मिले होते हैं। इसका सेवन करने से आँखों की समस्याएँ कम हो सकती हैं।
हर्बल ड्रॉप्स: कुछ आयुर्वेदिक हर्बल ड्रॉप्स भी आँखों के लिए लाभकारी हो सकते हैं। विशेषज्ञ की सलाह पर इनका उपयोग करें।
अन्य सामान्य सुझाव और सावचेती:
आँखों को आराम दें: अत्यधिक स्क्रीन टाइम से बचें और बीच-बीच में आँखों को आराम दें। हर 20 मिनट बाद, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें।
संतुलित आहार: विटामिन ए और सी से भरपूर आहार लें जैसे कि गाजर, पालक, संतरे आदि। ये विटामिन आँखों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
हाइड्रेशन: पर्याप्त पानी पिएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे और आँखों की नमी बनी रहे।
सूर्य की रोशनी से बचें: अत्यधिक सूर्य की रोशनी में निकलने से बचें और धूप का चश्मा पहनें। UV किरणें आँखों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
नियमित जांच: नियमित रूप से आँखों की जांच कराते रहें। अगर आप को फ्लोटर्स के साथ अचानक बहुत सारे नए धब्बे दिखाई दें या दृष्टि में कमी हो तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें।
Eye Floaters का आधुनिक चिकित्सा में उपचार
आधुनिक चिकित्सा में, अगर फ्लोटर्स से दृष्टि में गंभीर समस्या हो रही हो, तो कुछ चिकित्सा विधियाँ उपलब्ध हैं:
विट्रियोलिसिस: यह एक लेजर प्रक्रिया है जिसमें लेजर की मदद से फ्लोटर्स को तोड़ा जाता है।
विट्रेक्टोमी: यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें विट्रियस ह्यूमर को निकालकर उसकी जगह सलाइन (नमक का घोल) डाला जाता है। यह प्रक्रिया फ्लोटर्स को पूरी तरह से हटा सकती है, लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी होते हैं।
Conclusion:
Eye Floaters आमतौर पर हानिरहित होते हैं और अधिकांश लोगों के लिए कोई गंभीर समस्या नहीं होते। हालांकि, अगर फ्लोटर्स के साथ अचानक चमकदार लाइट्स दिखना, दृष्टि में कमी आना या बड़ी संख्या में नए फ्लोटर्स दिखाई देना जैसी समस्याएँ हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आयुर्वेदिक उपचार और जीवनशैली में बदलाव से फ्लोटर्स को कम करने और आँखों की सेहत को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। हमेशा किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले एक विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।
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